औरत, रिती- रिवाज, संघर्ष, त्याग और बलिदान, एक नई सोच । औरत, रिती- रिवाज, संघर्ष, त्याग और बलिदान, एक नई सोच ।
जब कहा जाए कि, 'मुझे आपकी ज़रूरत है!' फिर कौन से शब्दों की ज़रूरत है? जब कहा जाए कि, 'मुझे आपकी ज़रूरत है!' फिर कौन से शब्दों की ज़रूरत है?
तबस्सुम को ना कभी शिकायत काटों की ज़रूरी नहीं हर खत को लिफाफों की, हर रात रोशन आसमा तबस्सुम को ना कभी शिकायत काटों की ज़रूरी नहीं हर खत को लिफाफों की, हर ...
ताकत अपनी भुजाओं में रखते लक्ष्य निगाहों में कोमल हैं कमजोर नहीं शौर्य हैं, हम शक्ति ताकत अपनी भुजाओं में रखते लक्ष्य निगाहों में कोमल हैं कमजोर नहीं शौर्य ...
वक्त उसी का होता जो, पलट कर ऊपर आता है। वक्त उसी का होता जो, पलट कर ऊपर आता है।
उम्र के पार करके ढेरों वसंत अब वृद्ध अवस्था से जूझ रहा हूं! उम्र के पार करके ढेरों वसंत अब वृद्ध अवस्था से जूझ रहा हूं!